मां का है कोई मोल नही,
मां ममता है हरबोल रही।
मां हरदम है अनमोल सही,
मां निस्वार्थी है कोई तोल नहीं।
मां रोती जब बचपन रोता,
मां हंसती जब बचपन हंसता।
मां किलकारी में जीवन संजता,
मां जंचती जब बचपन जंचता।
मां नौ मासों के कोखों वाली,
मां बगिया की अविरल माली।
मां वात्सल्य की सुमधुर थाली,
मां बच्चों के चेहरों की है लाली।
मां सेतुबंधन करने वाली,
मां त्याग मूर्ति त्यागन वाली।
मां सबको लेकर चलने वाली,
मां कहता 'अनिल' मधुरिम वाली।
~ अनिल कुमार बरनवाल,
12.01.2019
मां ममता है हरबोल रही।
मां हरदम है अनमोल सही,
मां निस्वार्थी है कोई तोल नहीं।
मां रोती जब बचपन रोता,
मां हंसती जब बचपन हंसता।
मां किलकारी में जीवन संजता,
मां जंचती जब बचपन जंचता।
मां नौ मासों के कोखों वाली,
मां बगिया की अविरल माली।
मां वात्सल्य की सुमधुर थाली,
मां बच्चों के चेहरों की है लाली।
मां सेतुबंधन करने वाली,
मां त्याग मूर्ति त्यागन वाली।
मां सबको लेकर चलने वाली,
मां कहता 'अनिल' मधुरिम वाली।
~ अनिल कुमार बरनवाल,
12.01.2019
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