अनिल बरनवाल की मनभावन कवितायें


श्री अनिल कुमार बरनवाल, भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं | इनकी साहित्यिक क्षेत्र में गहरी दिलचस्पी है | ये अपनी हृदयस्पर्शी कविताओं में मानवीय संवेदनाओं एवं समसामयिक विषयों को सहज रूप से रख पाते हैं | आइये, इनकी रचनाओं से रूबरू होते हैं :)

कविता संकलन के लिए यहाँ क्लिक करें |

एक दीप प्रेम का जल जाए

मैं गीत लिखूं

सुख आवे दिन मधुकर बीते

मां

खुल के सदा ही प्यार करो

जो हंसे न लहलहाके

हमसफर जब साथ होगा, हर सफर कट जाएगा

बस प्रेम का ही गीत गाऊं

थकना छोड दिया

ए जिन्दगी तुझसे कल रात मुलाकात हो गई

एक पल ठहरा नहीं

आज अश्को में नहा लीजिए

जीवन

मन

आओ अब हम बोध पाएं

मन जीत गया हम हार गए

बचपन को रौंद दिया यूं क्यों?

अमर कीर्ति पा जाएं

आओ हम कुछ प्रतिकार करें

4 comments:

  1. अनिल एक संवेदनशील व मानवीय व्यक्तित्व के धनी कवि है। इनकी रचनाये आम जनमानस को बहुत नजदीक से टटोलती है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद मित्र मिश्रा जी

      Delete
  2. Bahut Saraniya Rachna hai aapki. Namaskar.

    ReplyDelete
  3. धन्यवाद बेटा।

    ReplyDelete