मंदसौर हुआ या कठुआ था।
बचपन को रौंद दिया यूं क्यों?
बेटी जो राजदुलारी थी,
माता के गोद मे प्यारी थी।
वह बेटी देश की हमारी थी,
वह लगती लोगों को न्यारी थी।
उसके सपने को कुचल दिया,
सामाजिक भ्रम को तोड दिया।
हवस पिपासा कौंद दिया यूं क्यों?
बचपन को रौंद दिया यूं क्यों?
वह अभी सभी की बच्ची थी,
अपने दिल की वह अच्छी थी।
कुत्सित मानस से कच्ची थी,
वह बच्ची थी और सच्ची थी।
बहसी को समझ न पाई वह,
क्योंकि वह नाजुक बच्ची थी।
विश्वासों का कत्ल किया यूं क्यों?
बचपन को रौंद दिया यूँ क्यों?
बेशर्मी से कुछ उबरें हम,
बच्चों को बचपन दे दें हम।
हम किधर जा रहें सोचें हम,
विकृत कृतियों को रोकें हम।
जानवर बनें कहें मानव हम,
जग सुधरेगा जब सुधरेंगें हम,
मानवता शर्मसार किया यूं क्यों?
बचपन को रौंद दिया यूं क्यों?
~ अनिल कुमार बरनवाल
बचपन को रौंद दिया यूं क्यों?
बेटी जो राजदुलारी थी,
माता के गोद मे प्यारी थी।
वह बेटी देश की हमारी थी,
वह लगती लोगों को न्यारी थी।
उसके सपने को कुचल दिया,
सामाजिक भ्रम को तोड दिया।
हवस पिपासा कौंद दिया यूं क्यों?
बचपन को रौंद दिया यूं क्यों?
वह अभी सभी की बच्ची थी,
अपने दिल की वह अच्छी थी।
कुत्सित मानस से कच्ची थी,
वह बच्ची थी और सच्ची थी।
बहसी को समझ न पाई वह,
क्योंकि वह नाजुक बच्ची थी।
विश्वासों का कत्ल किया यूं क्यों?
बचपन को रौंद दिया यूँ क्यों?
बेशर्मी से कुछ उबरें हम,
बच्चों को बचपन दे दें हम।
हम किधर जा रहें सोचें हम,
विकृत कृतियों को रोकें हम।
जानवर बनें कहें मानव हम,
जग सुधरेगा जब सुधरेंगें हम,
मानवता शर्मसार किया यूं क्यों?
बचपन को रौंद दिया यूं क्यों?
~ अनिल कुमार बरनवाल
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