ए जिन्दगी तुझसे कल रात मुलाकात हो गई
तुमनें जो दर्द दिया था उसी पे बात हो गई।
वफा मे मेरे क्या एहसास कम रहे?
एहसास थे या नहीं उसी पे
बात हो गई।
हर नजम गले से हमीं ने लगाया,
वो नजम थी नही कि उसी पे बात हो गई।
वो वक्त क्या रहा जब सिला ही नहीं मिला?
'अनिल' वक्त बेवक्त पर यूं ही बात हो गई।
~ अनिल कुमार बरनवाल
13.09.2018
तुमनें जो दर्द दिया था उसी पे बात हो गई।
वफा मे मेरे क्या एहसास कम रहे?
एहसास थे या नहीं उसी पे
बात हो गई।
हर नजम गले से हमीं ने लगाया,
वो नजम थी नही कि उसी पे बात हो गई।
वो वक्त क्या रहा जब सिला ही नहीं मिला?
'अनिल' वक्त बेवक्त पर यूं ही बात हो गई।
~ अनिल कुमार बरनवाल
13.09.2018
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