अब थकना छोड दिया हमने,
जब चलना सीख लिया हमने।
कहते थे घनघोर निशा होगी,
अब आस प्रभात चुना हमने।
जब प्रलय विलापी सता रहा,
नवसृजन हृदय बुना हमने।
पथभ्रष्ट बने कुछ राहगीर,
पथ मान बढाया जब कुछने।
कुछ काल सदा ही गाल बनी,
अब काल कपाल चुना सबने।
जीवन के लक्ष्य सदा अद्भुत,
'अनिल' कहता चलना है सबने।
अरु कहता थकना नही हमने।।
हां थमना नही है अब सबने।।
~ अनिल कुमार बरनवाल
13.09.2018
जब चलना सीख लिया हमने।
कहते थे घनघोर निशा होगी,
अब आस प्रभात चुना हमने।
जब प्रलय विलापी सता रहा,
नवसृजन हृदय बुना हमने।
पथभ्रष्ट बने कुछ राहगीर,
पथ मान बढाया जब कुछने।
कुछ काल सदा ही गाल बनी,
अब काल कपाल चुना सबने।
जीवन के लक्ष्य सदा अद्भुत,
'अनिल' कहता चलना है सबने।
अरु कहता थकना नही हमने।।
हां थमना नही है अब सबने।।
~ अनिल कुमार बरनवाल
13.09.2018
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