Thursday, September 13, 2018

एक पल ठहरा नहीं

एक पल ठहरा नहीं,
कि दिल मेरा थकने लगा।
रूह को महसूस करके,
सांस अब चलने लगा।
कल्पना आलेख लेकर,
आज ऐ तनहाइयां,
कब सबल एक साथ पाईं,
दिल मेरा हिलने लगा।
हर सफर के साथ का सुख,
सफर के अन्दाज का सुख,
हमसफर का बोध लेकर,
मन मयूरी आस लेकर
आज अब विश्वास लेकर,
दिल का सिला मिलने लगा,
'अनिल' सांस हर चलने लगा।

~ अनिल कुमार बरनवाल
12.09.2018

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